नेत्रहीनों के लिए नोट पहचानने का डिजिटल सहारा

नेत्रहीन व्यक्तियों को रोजमर्रा की जिंदगी में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिनमें सबसे बड़ी समस्या करेंसी नोट की पहचान की होती है। लेन-देन के दौरान अंधे और दृष्टिहीन लोग कई बार ठगे भी जाते हैं क्योंकि वे यह नहीं पहचान पाते कि उनके हाथ में कौन-सा नोट दिया गया है। इसी गंभीर समस्या का समाधान निकाला है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने  मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफायर यानी मणि (MANI) ऐप के रूप में।

क्या है मणि ऐप?

मणि ऐप एक विशेष मोबाइल एप्लिकेशन है जिसे खासतौर पर नेत्रहीनों की सहायता के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह ऐप स्मार्टफोन के कैमरे की मदद से भारतीय करेंसी नोट की पहचान करता है और फिर यूज़र को बताता है कि वह नोट कितने रुपये का है। इसकी खास बात यह है कि यह जानकारी लाउड स्पीकर, टेक्स्ट और वाइब्रेशन तीनों तरीकों से देता है, जिससे नेत्रहीन व्यक्ति आसानी से जानकारी प्राप्त कर सके।

मणि ऐप को उपयोग करना बेहद आसान है। सबसे पहले उपयोगकर्ता को यह ऐप अपने स्मार्टफोन में डाउनलोड और इंस्टॉल करना होता है। इसके बाद ऐप को खोलने पर उसमें नोट स्कैन करने का विकल्प आता है। जैसे ही यूज़र नोट को मोबाइल कैमरे के सामने रखता है, ऐप तुरंत उस नोट को स्कैन कर लेता है और उसकी पहचान कर ध्वनि के माध्यम से नोट का मूल्य बता देता है।

 

सिर्फ यही नहीं, अगर यूज़र स्पीकर से नहीं सुन सकता, तो ऐप नोट की वैल्यू वाइब्रेशन और स्क्रीन टेक्स्ट के जरिए भी बताता है। यानी तकनीक का यह बेहतरीन उदाहरण नेत्रहीनों के लिए न सिर्फ स्वतंत्रता की ओर कदम है, बल्कि सुरक्षा और आत्मनिर्भरता भी प्रदान करता है।

 

किन नोटों की करता है पहचान?

मणि ऐप भारतीय मुद्रा के लगभग सभी प्रचलित नोटों की पहचान कर सकता है। इसमें ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और ₹2000 तक के नोट शामिल हैं। यह ऐप पुराने और नए दोनों सीरीज के नोटों को पहचानने में सक्षम है, जिससे यूज़र को किसी भी नोट को लेकर असमंजस नहीं रहता।

 

मणि ऐप वाकई में नेत्रहीनों के लिए एक तकनीकी वरदान है। यह न सिर्फ उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। डिजिटल युग में इस प्रकार के इनोवेशन समाज के हर वर्ग को समान अवसर देने की दिशा में एक सराहनीय कदम हैं। आरबीआई द्वारा उठाया गया यह कदम न सिर्फ प्रशंसनीय है बल्कि अन्य संस्थाओं के लिए भी प्रेरणा है कि तकनीक का उपयोग समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में किया जाए।

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